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अब हमारी बारी है

मेरी लेखनी :मेरा परिचय
मेरी लेखनी :मेरा परिचय
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मुझे अच्छी तरह याद है अपने बचपने में….गणतंत्र दिवस हो या स्वतंत्रता दिवस हमारी तैयारियां महीने भर से शुरु रहती थी,देशभक्ति गाने-नाटकों के मंचन की जोरशोर से तैयारी,और फिर उस दिन सुबह सुबह फुल तोङकर लाते,नहा धोकर ,साफ सुथरे कपङे पहन कर विद्धालय की ओर रवाना होते,मैदान में जमा होकर पंचम सुर में ,प्रधानाध्यापक के झंडा फहराते ही जयघोष करते ,जिससे पुरा ईलाका गुंजायमान हो जाता,तिरंगे को सलामी देने के बाद शुरु होता बालमन का एक चिरप्रतिक्षित क्षण जलेबी पाने का….,शाम तक विद्धालय प्रांगण में उछलकूद,फिर समापन….., और फिर अगले साल की प्रतिक्षा..उसके बाद महाविद्धालय..फिर गृहस्थ जीवन आते आते वो जोश और उत्साह तो कम हो गया पर देशभक्ति का जो बीजारोपण बचपने में हो गया था,उसकी जङें ढीली ना पङी..यही कारण है कि भले अब झंडोत्तोलन में शामिल हो पाना संभव नही होता,सुबह टीवी पर झंडोत्तोलन देखना नहीं भूलती,विद्धालय की कतार ना रही,पर पास के हलवाई की दुकान पर हमारी बुकिंग दो दिन पहले हो जाया करती है,मुंह से जोर का जयघोष भले ना निकलता हो,दिल उछल उछल कर भारत माता की जय जरुर बोलता है,कुल मिलाकर परिस्थितियां तो बिल्कुल बदल गई पर दिल,मन,भावना और श्रद्धा यथावत रहीं और दुआ है कि अंतिम सांस तक रहे,,,
पर अब प्रश्न ये है कि हमारे बाद ये भावनाएं कितने दिनों तक सांस ले पाएंगी….आज की पीढी जो त्वरित परिणाम चाहती है,जो आज में जीने में यकीन रखती है और ज्यादा सोचने समझने में समय नहीं गंवाती…..वो आजादी के सतत प्रयासों,अपने स्वर्णिम अतीत और उन संघर्षों को क्या समझेगी जिसने उन्हं आज सिर्फ अपने बारे में सोच पाने की स्वतंत्रता दी है,मेरे पिताजी कहते है कि दादाजी की उम्र कोई सत्रह-अठरह साल की रही होगी स्वतंत्रता संग्राम के वक्त,उनके हट्ठे-कट्ठे शरीर को देख कई दफा फिरंगी मुलाजिमों ने उन्हे अपनी सेवा स्वीकारने का मुलम्मा दिया पर वो ना डिगे…क्या आज का युवा ये माद्दा रखता है..और तो और आज सेना में भर्ती के लिए जो युवा शामिल होते है उनमें से नब्बे प्रतिशत की मंशा रोजगार पानी होती है ना कि देश की सेवा..आए दिन प्रतिभाओं का विदेश पलायन,क्या देश के साथ अन्याय नहीं,एन आर आई का संबोधन हमारे लिए गर्व का विषय भले हो पर क्या ये अपनी धरती का अपमान नही…..,गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस हम बङों के लिए खुशियां तो लाता है पर सार्वजनिक अवकाश पाने की खुशी..जिसे हम एक-दुसरे से मिलकर बजाय मुबारकबाद देने के घर मे दुबक कर,दिन बीता देने में यकीन रखते है…..तो भला ये पीढी हमसे सीखे भी तो क्या,अपने पिता को राष्ट्रगाण के सम्मान में खङा होते देखकर ही तो मैनें भी उसे अपने जीवन में उतारने की कोशिश की,अपने दादाजी के किस्से सुनकर ही तो मेरे भाई ने सेना में डाक्टर बनने को प्राथमिकता दी…. जब हमारी ही भावनाएं लुंजपुंज होगी तो हम अपने भविष्य को देश का भविष्य भला कैसे बनाएंगे,आज हमारे बच्चों के लक्ष्य में ना जाने कौन कौन से क्षेत्र शामिल है,पर कोई ये नही कहेगा मैं बङा होकर देश की सेवा करना चाहता हुं,कैसे कहे…. हमने सिखाया ही नहीं.तो कहां से लाएंगे हम अपने देश के रक्षक……वो रणबांकुरे जिन्हे धरती अपने प्यारे बेटों का नाम देती है उन्हे तो पाठ्य-पुस्तिकाएं आतंकवादी करार देती है तो भला कैसे जागेगी अपने नौनिहालों के मन में देशभक्ति,पिछले वर्ष हमारे शहर के एक जाने माने स्कुल के आगे अभिभावकों ने इसलिए धरना दिया की स्वतंत्रता दिवस के नाम पर चंदा उगाही की गई ,पर बच्चों को एक टॉफी भी नहीं दी गई …….क्या ऐसे धरने उन पाठ्य पुस्तकों को हटाने के लिए नही होने चाहिए थे… आज के बच्चों के लिए तो ये दिन इतना ही मायने रखते है कि, बस फ्लैग-होस्टिंग और फिर छुट्टी कैसे आएगी हमारे बच्चों के मनों में जिम्मेदारी की भावना,वो विश्वास पात्रता,मर मिटने का जज्बा,कैसे दिल चीर कर रख देने वाले देशभक्ति गानों पर उनकी भुजाएं फङकेंगी,रोंगटे खङे होगें…….,तभी जब हम चाहेंगे…हमें इन दिनों को विशिष्ट रुप देना होगा,होली दीवाली,ईद,क्रिसमस की तरह खुशियों का पर्व बनाना होगा,मिठाईयां खाकर- खिलाकर ,दिए जलाकर इन विशेष दिनों की खुशी का उसे एहसास दिलाना होगा,अपने स्वतंत्रता संग्राम की वीर गाथाओं से उसका परिचय कराना होगा,अपनी आजादी के महत्व और मूल्यों और उसे बरकरार रखने की ताकत और जज़्बे को उसके दिलो-दिमाग में बिठाना होगा..ताकि फिर उसे इनका इंतजार रहे, वो मन से इन पर्वों में शामिल हों,अपनी आजादी के लिए अपने शहीदों-महापुरूषों के प्रति उसके अंदर सम्मान हो….बस एक बार उन्हे इसकी महत्ता समझ आगई तो फिर ये धरती उन्हें अपने मोहपाश से मुक्त होने ही नही देगी पर एक प्रयास जरुरी है, हमने अपने माता पिता से सीखा ,हमारे बच्चे हमसे सीखे तभी तो हमारा कर्तव्य पुरा होगा अभिभावक के रुप में भी और इस देश के एक सजग नागरिक के रूप में भी,तो हमेशा की तरह यही कहुंगी शुरूआत अपने ही घरों से करें……..,चलते चलते आने वाले गणतंत्र दिवस की सबको हार्दिक बधाईयां…भारत माता की जय.

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