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सिखा गई ज़िंदगी

मेरी लेखनी :मेरा परिचय
मेरी लेखनी :मेरा परिचय
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आज कई महीनों के बाद हाथों में कलम आई तो कितनी बातें,कितने जज़्बात और जाने कितनी भावनाएं अपनी अपनी उपस्थिति दर्ज कराने को कसमसा उठीं,इस मंच के जितने भी भाई-बहनें मुझसे परिचित है अवश्य एक जिज्ञासा व्यक्त करेंगे कि मैं कहां गुम थी इतने दिनों…..तो ज्यादा ना कह यही कहुंगी कि एक ख्वाब की तामिलगी में लगी थी ,पर दुर्भाग्यवश उपलब्धि हाथों में आते आते रह गई..और मेरी चिरअभिलाषा अपनी मंजिल से कुछ और दुर खिसक गई……पर मैं अगले वर्ष के लिए अवश्य आशान्वित रहुंगी..आज नही तो कल ,कल नहीं तो परसों…..जब तक जिंदगी है शायद तब तक…
इन दिनों आप सबों को बहुत याद किया ,पर समयाभाव के कारण जुङ ना पाई,फिर असफलता ने घेर लिया, उससे बाहर आते ही वापस आप सबके करीब आकर अपना मन खोलने का जी किया तो हाज़िर हो गई, सबसे पहले आप सबों को मेरा हार्दिक नमन……………आगे अपने बुरे वक्त में मैनें कई बातों का गहन अध्ययन किया और कई बातें सीखी, मैने पढा था कभी-दिशा,समर्पण, ढृढ निश्चय,अनुशासन व निश्चित समय यही पांचों तत्व लक्ष्य की सफलता-असफलता निर्धारित करते है,मैने इन पांचों को निभाया पर ना जीत पाई…..,फिर कारण-उद्देश्य की भी गणना की ,पर वहां भी अपनी असफलता के कारण-उद्देश्य को तलाशने में विफल रही………,उसके बाद अपने आप को परखने की कोशिश की –क्या मैने आज तक किसी का बुरा किया या चाहा है? तो जवाब नकारात्मक ही पाया..,फिर अपने आचरण का अंतरविश्लेषण किया कि कही मैं निष्ठुर,अवसरवादी,अहंकारी या दूसरों के दुख या हार पर खुश होने वाली इंसान तो नहीं?….तो अपने अंदर ये विसंगतियां भी मुझे दृष्टिगोचर नही होती….फिर मेरे साथ ही ऐसा क्यों?? ……….अपने इन्ही सवालों का जवाब ढूंढने में अपने कई दिनरात गंवाने के बाद यूंहि बेखेयाली में मुझे अपने पुस्तक कक्ष में जीत आपकी दिखी….बेमन से पन्ने पलटते पलटते एक पन्ने पर मेरी नजरें स्थिर हो गई ,जहां ये लिखा था कि अंग्रेजी में एक कहावत है “ एक शांत समुद्र में एक नाविक कभी कुशल नहीं बन पाता.” और इसी एक पंक्ति ने मुझमें इतना साहस भरा कि ना केवल मैं उठ पाई बल्कि फिर प्रयास कर पाने की ऊर्जा भी पाई…क्या आपको नहीं लगता कि इस पंक्ति में जीवन के सभी संघर्षों के पीछे छिपे उद्देश्यों का सार है…मैने इस बात को महसूस किया कि दुख में मिला साहस और भरोसा ना केवल आपको दुख से उबारता है बल्कि आपके जज़्बे को दुगना कर देता है और इसी सीख को मैने पुरे घटनाक्रम का सबक समझ आत्मसात किया
आज मैं अपनी हार से पूर्णतः बाहर आ चुंकी हुं और मुझे यह भी यकीन है कल की जीत मेरी ही है,अवश्य ही हर किसी के जीवन में ये वक्त आता है, उस समय यही याद रखना चाहिए कि असफलता यही दर्शाती है कि सफलता का प्रयास पुरे मन से नही किया गया,अगर लक्ष्य को पाना है तो उसमें अपना सर्वस्व झोंक कर उस छटपटाहट को पैदा कीजिए,जिससे आपकी सांसों के तार जुङे हों,यकीन मानिए सफलता सबसे पहले आपको आकर गले लगाएगी….उम्र के इस पङाव पर आकर जिंदगी नें मुझे जो कुछ सिखाया या कहें मैनें जो कुछ जिंदगी से सीखा उसे आपसे बांटकर असीम संतोष का अनुभव कर रही हुं,और असफलताओं के बोझ से कल तक लदा मेरा मन आज फूलों से भी हल्का हो चला है… पहले तो ये कामना करूंगी कि जीवन में दुख आए ही नही,अगर आए भी तो शीघ्रातिशीघ्र हमारी क्षमता के आगे घुटने टेक हमें अपने जाल से मुक्त करे ……अब निरंतर आप सबों के संपर्क में बने रहने की शुभेच्छा लिए हुए विदा चाहुंगी….

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